क्यों खास है ये दिवस इस दिन को विधिक सेवा के तहत प्राधिकरण अधिनियम और वादिकारियों के अधिकार को विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के लिए नि: शुल्क, प्रवीण और कानूनी सेवाओं की पेशकश करना है. यह कमजोर वर्गों के लोगों को मुफ्त सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने का प्रयास भी करता है। कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस के इतिहास के बारे में जानने से पहले आपके लिए ये जानना आवश्यक है कि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 क्या है? क्योंकि राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस की शुरुआत के पीछे इस अधिनियम की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनको मिला मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार भारत के संविधान अनुच्छेद 39 ए और इसकी समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कानून सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम को 1994 के संशोधन अधिनियम के बाद 9 नवंबर 1995 में लागू किया गया। इसके बाद से मुख्य अधिनियम के लिए कई संशोधन पेश किए। आपको बता दें कि इस अधिनियम के माध्यम से पिछडे़ हुए वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। अधिनियम के कारण किसी भी प्रकार से किसी विकलांग या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को न्याय से वंचित नहीं रखा जा सकता है। न्याय प्राप्त करने का जितना अधिकार एक अमीर व्यक्ति या किसी समान्य वर्ग के व्यक्ति को है उतना ही अधिकार एक आम व्यक्ति को है। न्याय प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं है, सभी को उसके समान अवसर दिए जाना इस अधिनियम के अंतर्गत शामिल किया गया है। निःशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करने वाले विधिक सेवा संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण। राज्य स्तर पर- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण. इसकी अध्यक्षता राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है जो इसका मुख्या संरक्षक भी होता है। उच्च न्यायालय के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसके कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामांकित किया जाता है। जिला स्तर पर- राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण. जिला न्यायाधीश इसका कार्यकारी अध्यक्ष होता है। तालुका स्तर पर- तालुक विधिक सेवा प्राधिकरण। इसका नेतृत्व वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश करता है। उच्च न्यायालय- उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण सर्वोच्च न्यायालय- सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण
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