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सशस्त्र सेना झंडा दिवस : 07 दिसंबर
 

आखिर क्या है इसका इतिहास और क्यों मनाया जाता है

7 दिसंबर के दिन भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने के पीछे कारण यह है कि दरअसल, भारत को आजादी मिलने के बाद 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 7 दिसंबर को प्रतिवर्ष झंडा दिवस मनाने के लिए चुना। वहीं जवानों के कल्याण हेतु धन जमा करने के लिए समिति ने लोगों के बीच छोटे झंडे बांटकर, उससे चंदा इकट्ठा किया। इस झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर किए गए धन संग्रह के तीन मुख्य उद्देश्य हैं- पहला युद्ध के समय हुई जनहानि में सहयोग, दूसरा सेना में कार्यरत कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण और सहयोग के लिए और तीसरा सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार के कल्याण हेतु।

>इसलिए खास है सशस्त्र सेना झंडा दिवस सशस्त्र सेना झंडा दिवस देश के नाम आपना जीवन करने वाले दिव्यांग पूर्व सैनिकों, युद्ध में वीर गति प्राप्त किए हुए सैनिकों की विधवाओं, शहीदों के परिवार जनों की देखभाल करने के लिए मदद सुनिश्चित करता है और उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता और सम्मान का प्रतीक है।

सैनिक देश की वो ढाल होते हैं, जो देश को हर खतरे और बुराईयों से बचाते हैं, सैनिक देश का वो गौरव हैं जो हमेशा देश का अभिमान बनके देश की रक्षा और मान बढ़ाते हैं। अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए बहुत से सैनिकों ने अपने प्राणों तक बलिदान दे देते हैं और देश के दुश्मनों का मुहतोड़ जवाब देने के लिए हमारे वीर सेनानी हमेशा तैयार रहते हैं

संकल्प क्लासेज, बाड़मेर

स्थान : ऑफिसर कॉलोनी, लक्ष्मी नगर, बाड़मेर

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